राजस्थान... सबसे बड़ा पर्यटन राज्य.... जहां हर साल पहुंचते हैं लाखों पर्यटक....ऐसा राज्य... जिसकी दुनिया में है खास पहचान.... उसके हर शहर में बसी है विरासत की गहराई..... हर कण में छिपा है इतिहास... जहां रग रग में बसी है पधारो म्हारे देश की संस्कृति.... समाया है आदर सत्कार का भाव.... ऐसे राज्य.... जहां हर जिले की संस्कृति रखती है अपना खास महत्व... वहां के किले-बावड़ी..... मेले और संस्कृति के साथ शिल्पकारी लुभाती है दुनिया को....इसी शिल्पकारी को अपने अंदर समेटे हुए है उदयपुर का एक गांव.... आखिर क्या खास है इस गांव में... बताते हैं आपको हर एक पहलू।
राजस्थान राज्य...जिसे रेगिस्तान भी कहा है और दुनियाभर के पर्यटकों की है खास पसंद... हर साल पहुंचते हैं लाखों पर्यटक.... लेकिन अब इन पर्यटकों का झुकाव होटल या मॉल्स में नहीं है...आधुनिकता में नहीं है.... इनका झुकाव है राजस्थान की विरासत... जंगल और ग्रामीण परिवार... कला और संस्कृति में.... ऐसे ही नजारे देखने को मिलते हैं उदयपुर के शिल्पग्राम में.... जहां कई राज्यों की कला और शिल्पकारी के साथ मिलता है ग्रामीण परिवेश... दिख जाती है ग्रामीण लोगों की कला का एक झनकार.... ग्रामीण परिवेश में विकसित कला का नमूना... आखिर हमारी अपनी मातृभूमि के इतिहास और संस्कृति को संरक्षित करने में ये अपना अहम योगदान जो निभा रहे हैं... इसी शिल्पकारी के केंद्र में पहुंचते हैं लाखों पर्यटक.... सबसे पहले जानते हैं इस शिल्पग्राम में कैसे पहुंचे और कितना चुकाना होगा शुल्क।
उदयपुर से 3 किलोमीटर दूर
अरावली पर्वतमाला से घिरा है शिल्पग्राम
70 एकड़ के ऊंचे भूभाग में है बसा
प्रकृति की गोद में बसा अनोखा स्थान
शिल्पग्राम...कला और शिल्पकारी का स्थल
प्रति व्यक्ति 30 रुपये है प्रवेश शुल्क
विदेशी नागरिकों के लिए 50 रुपये प्रवेश शुल्क
सुबह 11 बजे से शाम 7 बजे तक समय
हवाला गांव में 16 एकड़ एरिया में है बसा
फतहसागर झील के पास है हवाला गांव
21 दिसंबर से 30 दिसंबर तक विशेष आयोजन
सजी हैं 400 दुकानें, पहुंचे हैं 800 कलाकार
आज दुनिया डिजीटलीकरण की राह पर है और इस राह के बीच ऐसा गांव.... जिसे देखकर हर कोई भूल जाता है आज की आधुनिकता... इसी माहौल के बीच अपनी कला और शिल्प के संरक्षण में लगे हैं ये ग्रामीण लोग.... जो अपने रीति-रिवाजों और परंपराओं की करते हैं रक्षा.... इन कारीगरों की प्रतिभा को प्रेरित करने के लिए लगाए जाते हैं ऐसे अद्वितीय कला और शिल्प के उत्सव... लेकिन इसके बीच उदयपुर का ये सालभर चलने वाला शिल्पग्राम अपने आप में खास है.... शिल्पग्राम यानी कारीगरों का गांव.... क्या कहते हैं ये कारीगर....जिनके यहां दिख जाती है राजस्थानी कला और शिल्प.... मुगल और यूरोपीय इतिहास की झलक.... आईए सुनते हैं....
प्राचीनता का ऐसा समावेश...
भूल जाते हैं आज की आधुनिकता
रिति-रिवाजों की होती है रक्षा
अद्वितीय कला व शिल्प के उत्सव
शिल्पग्राम यानी कारीगरों का गांव
दिखती है मुगल-यूरोपीय इतिहास की झलक
अब जानते हैं कैसा बना है ये शिल्पग्राम.... कई झोपड़ियों से घिरा शिल्पग्राम,,, पुरानी स्थापत्य शैली में बना है.... ताकि यहां आने वाले हर पर्यटक को हो सके ग्रामीण बाज़ारों का अहसास.... आज यहां वास्तुकला, पारंपरिक कला और संस्कृति को दर्शाती करीब 31 झोपड़ियां हैं,,, जिनमें राजस्थान, महाराष्ट्र, गोवा और गुजरात की झोपड़ियां अपने आप में खास हैं.... यहां एक ओपन एयर एम्फीथिएटर भी है... जहां करीब 8000 लोग एक साथ बैठकर देख सकते हैं ग्रामीण परिवेश संस्कृति... समय समय पर यहां आदिवासी और लोक नृत्य की प्रस्तुति पर्यटकों के बीच खासी प्रिय बन जाती है.... साथ ही ऐसा गांव.... जहां भारतीय संस्कृति की कला, इतिहास, संस्कृति और विरासत एक साथ देखी जा सकती है.... दिखता है देश का गौरवशाली अतीत.....
कला और शिल्पकारी से परिपूर्ण गांव
जहां दिखती है देश की कला-शिल्पकारी
चार से ज्यादा राज्यों की बनी हैं 31 झोपड़ियां
उदयपुर के हवाला में स्थित हैं शिल्पग्राम
37 साल पहले बना था उदयपुर में शिल्पग्राम
हर साल 21 से 31 दिंसबर शिल्पग्राम उत्सव
आपको बता दें कि 1985 से 1987 के बीच सांस्कृतिक वितरण नेटवर्क के रुप में क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्रों की कल्पना की गई और स्थापना भी हुई.... जिससे भारत के शहरी, ग्रामीण और जनजातीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की कलाओं को बढ़ावा दिया जा सके,,, पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के रुप में उदयपुर में शिल्पग्राम बसा और ये देश का पहला केंद्र भी कहलाया... जिसका प्रतिनिधित्व करने वाली 31 झोपड़ियां हैं जो राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र और गोवा राज्य की विशाल विविधता और सौंदर्य भावना को दर्शाती हैं जो भारत के पश्चिमी क्षेत्र में शामिल हैं,,,, 1989 में राजीव गांधी ने उद्घाटन किया था....
आपने देखा भारत के ग्रामीण परिवेश की प्राचीन संस्कृति.... कई राज्यों की संस्कृति का समावेश.... कई वर्गों की शिल्पकला और विरासत को एक जगह.... दर्पण और मनके की शानदार कारीगरी... जबरदस्त कलात्मक चमत्कार.... लकड़ी से बनी जटिल नक्काशीदार झोपड़ी....मछुआरे का घर.... घास फूस और बेंत की झोपड़ी,,, अद्भुत दीवार चित्रकारी, प्राचीन और पारंपरिक खोई मोम की ढलाई... ... ये तो एक नमूना है हमारी विरासत का... यहां आकर आप कला के अद्भुत नमूने पा सकते हैं... जो शायद आपने कहीं देखे नहीं होंगे....