अजमेर से शिवांश खांडल की रिपोर्ट। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने शुक्रवार को ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से भेजी गई चादर पेश की। इस मौके पर उन्होंने प्रधानमंत्री का संदेश पढ़ा और ख्वाजा साहब से देश में शांति, समृद्धि और एकता के लिए दुआ मांगी। अखिल भारतीय सूफी सज्जादानशीन परिषद के अध्यक्ष सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने प्रधानमंत्री मोदी के इस कदम का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि ये एक पुरानी परंपरा रही है। 1947 में जब से देश आजाद हुआ है, तब से भारत के प्रधानमंत्री की ओऱ से सालाना उर्स के मौके पर चादर भेजी जाती है। ये परंपरा हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद बनाए रखी है। यह हिंदुस्तान की संस्कृति और सभ्यता का हिस्सा है, जिसमें हर धर्म, हर संप्रदाय और हर सूफी संत का सम्मान किया जाता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले 10 वर्षों से इस परंपरा को न केवल जारी रखा है, बल्कि इसे पूरी श्रद्धा और अकीदत के साथ निभाया है। वे हर साल चादर भेजते हैं और इस परंपरा को पूरी गरिमा के साथ निभाते हैं। आज भी हमारे पास जानकारी है कि प्रधानमंत्री मोदी अल्पसंख्यक मंत्री किरेन रिजिजू को गुरुवार की शाम चादर सौंपेंगे। यह एक सकारात्मक संदेश है और उन लोगों के लिए जवाब है। जो कुछ महीनों से मंदिर-मस्जिद के विवाद को हवा दे रहे हैं। हमारे देश की सभ्यता और संस्कृति यही है कि सभी धर्मों और मज़हबों का सम्मान किया जाए। प्रधानमंत्री मोदी का 'सबका साथ, सबका विकास, सबका सम्मान' का सिद्धांत इस परिप्रेक्ष्य में महत्वपूर्ण है। यह एक सकारात्मक संदेश है और मैं हमेशा इसका समर्थन करता रहूंगा। जब चादर आएगी, तो हम उसकी मेजबानी के लिए तैयार रहेंगे। यह उन लोगों को जवाब है, जो देश को तोड़ने की बात कर रहे हैं और मजहब के नाम पर विवाद खड़ा कर रहे हैंष