जैसलमेर में कुलधरा गांव ! वीरान और खामोशी का राज क्या
जैसलमेर से महेंद्र सिंह की रिपोर्ट। जैसलमेर में बसे 84 गांव। महज एक रात और गायब हो गए 84 गांवों के लोग। आज 200 साल से ऊपर। लेकिन आज तक 2 गांव पड़े हैं सुनसान। इन्हें कहा जाने लगा है भूतों का गांव। लेकिन हकीकत से दूर सच्चाई। गांव में मंदिर, भगवान गायब...
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6 days ago
न्यूज अफेयर 24 के लिए जैसलमेर से महेंद्र सिंह की स्पेशल रिपोर्ट। जैसलमेर में बसे 84 गांव। महज एक रात और गायब हो गए 84 गांवों के लोग। आज 200 साल से ऊपर। लेकिन आज तक 2 गांव पड़े हैं सुनसान। इन्हें कहा जाने लगा है भूतों का गांव। लेकिन हकीकत से दूर सच्चाई। गांव में मंदिर, लेकिन भगवान नदारद। यहां बने मकान,आधुनिकता की निशानी। इस खामोशी का राज क्या। वीरान और खामोश... राजस्थान का ये गांव। कभी यहां सजा करती थी महफिल। कभी लोग मिलजुल कर रहते थे हंसी खुशी। लेकिन अब सदियों से खाली पड़ा है गांव। महज एक रात... छोड़कर चले गए सब कुछ। जैसलमेर आने वाला हर पर्यटक पहुंचता है कुलधरा। आखिर गांव में बसी है रुहानियत की आत्मा। सर्व-सुविधा संपन्न गांव हुआ करता था कुलधरा। अब रात क्या, दिन में भी डर का साया। आखिर कैसे बना ये भूतों का गांव। दुनिया का पहला उदाहरण...इज्जत नहीं,छोड़ा गांव। एक लड़की के लिए चले गए 5000 लोग। श्राप ऐसा, यहां आए हर व्यक्ति के साथ अनहोनी। कुलधरा और खाबा गांव आज भी वीरान। रहस्यमयी गांव की रहस्यमयी चर्चा। सैंकड़ों सालों से श्रापित है गांव। महज एक रात... गायब हो गए 84 गांवों के लोग। आखिर कहां गए... कोई नहीं जानता। बंजर और वीरान बना सर्वसुविधा संपन्न गांव। चर्चा हर जुबां पर, नहीं जाता कोई। धरातल पर सिर्फ जर्जर हालातों में खंडहर के निशां। अपनी कहानी खुद बयां करते ये निशां ।। अपनी गवाही देती ये प्राचीन दीवारें। वीराने में तब्दील एक सुविधासंपन्न गांव। अजीब किस्सों से भरा कुलधरा गांव। रुहानियत ताकतों का साया बसता है यहां। दफन है कई अनसुलझे सवाल। दुनियाभर में सबसे भूतिया जगह 'कुलधरा'। काभा किले से महज 16 किलोमीटर दूर। यहां रहती है रुहानियत ताकतें। रात में खनकती है यहां चूड़ियां। आती है बच्चों के रोने की आवाजें। दिखता है सिर्फ सन्नाटा...और कुछ नहीं। रुहानी ताकतों के कब्जे में गांव। पालीवाल ब्राह्मणों के कदमों की आहट। आती है बाजार की चहल-पहल की आवाजें। अचानक सामने आती है रहस्यमयी परछाई। रात होते ही रुहानी ताकतों का संसार। राजस्थान का मशहूर गोल्डन शहर 'जैसलमेर'। सूरज की पहली किरण के साथ सोने जैसा शहर। गरमी में सर्द हवाओं का अहसास। भरी सर्दी में निकल जाते हैं पसीने
भारत में कई ऐसी जगह है, जो रहस्यमयी कारणों के चलते चर्चाओं में बनी रहती है। इसमें से एक है जैसलमेर में बसा कुलधरा गांव। कहा जाता है कि ये गांव सैंकड़ों सालों से श्रापित है। पर सवाल ये है, कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि महज एक रात... और गायब हो गए 84 गांवों के लोग। आखिर कहां गए... कोई नहीं जानता। आखिर क्यों ये गांव पूरी तरह बंजर और वीरान हो चुका है। आखिर क्या कारण है कि इस गांव में आज कोई नहीं रहता। क्या है इस रहस्यमयी कुलधरा गांव की कहानी। जो चर्चा तो होती है, लेकिन नहीं जानता कोई। आज वहां है तो सिर्फ जर्जर हालातों में पड़े खंडहर के निशां। ये निशां अपनी कहानी खुद बयां करते नजर आएंगे। गवाही देती नजर आएंगी ये प्राचीन दीवारें। जानेंगे वो दास्तां, जिसने अचानक से इस सुंदर से गांव को वीरान बनाकर छोड़ दिया। एक वीराने में तब्दील कर दिया।
हमारा भारत देश। भारत की सरजमीं। जो अजीब किस्सों से भरा है और यहां भरी पड़ी है एक से बढ़कर एक रोचक कहानियां। कई इलाकों में है रुहानियत ताकतों का साया। दफन है कई अनसुलझे सवाल। ऐसे राज, जिन्हें जितना सुलझाओ। उलझते चले जाते हैं। ऐसा ही एक गांव है जैसलमेर का कुलधरा गांव। जहां कई राज दफन है। ऐसा गांव, जहां बंद कर दिए जाते हैं सारे दरवाजे। कहते हैं इस गांव में है रुहानियत ताकतों का साया। जहां नहीं जाना चाहता कोई। भरा है अजीब किस्सों से भरा। इसे माना गया है दुनियाभर में सबसे भूतिया जगह। जहां महज एक रात में गायब हो गए करीब पांच हजार लोग।
जैसलमेर का कुलधरा गांव। महज जैसलमेर से कुछ किलोमीटर दूर। आज जिस हालात में है। पहले कभी नहीं था। एक समय में सुख सुंदर और सभी आधुनिक सुविधाओं से लैस। गर्मियों में दीवारें ठंडी तो सर्दियों में गर्म हवा से दूर भागती कंपकंपी। आज भी गांव में गर्मी में जाओ तो सर्दी का अहसास और सर्दी में जाओ तो गरमी का अहसास। दुनिया की सबसे डरावनी जगहों में से एक नाम - कुलधरा गांव। जैसलमेर के काभा किले से महज 16 किलोमीटर दूर। कहते हैं यहां रहती है रुहानियत ताकतें। कभी रात में चूड़ियां खनकने की आवाज। तो कभी बच्चों के रोने की आवाज। यहां कोई नहीं। सब कुछ वीरान। दिखता है तो सिर्फ सन्नाटा और सन्नाटे के सिवाय कुछ नहीं। रुहानी ताकतों के कब्जे में शहर। सुनाई देती है पालीवाल ब्राह्मणों के कदमों की आहट। महसूस होता है कि है कोई आस पास। आती है बाजार की चहल पहल की आवाजें। सुनाई पड़ती है महिलाओं के बात करने और चूड़ियों की आवाजें। अचानक आंखों के सामने आ जाती है रहस्यमयी परछाई। रात होते ही दिखता है रुहानी ताकतों का संसार। सब कुछ लगने लगता है कहानी जैसा।
कहते हैं कि एक समय में यहां कुछ ट्यूरिस्ट घुमने के लिए आए थे। जब वे लौट रहे थे तो लेट क्या हो गए। उनकी गाड़ी पर बच्चों के पंजों के निशान पाए गए। दिल्ली से भूतों पर रिसर्च करने पहुंची टीम ने भी माना, यहां कुछ गलत जरुर है। देर रात उनकी आंखों के सामने कैमरा अचानक आसमान से शहर की फोटो लेने लगा। खैर क्या सच और क्या झूठ। लेकिन राजस्थान सरकार ने इन दावों को कुछ सच साबित जरुर किया है। राजस्थान सरकार ने इस गांव के चारों तरफ दो किलोमीटर के एरिया में बड़ी दीवार खड़ी कर दी और अंदर आने जाने के लिए लगा दिया एक गेट, ये हकीकत। इन दावों को सच साबित करती नजर आती है। अब दिन में यहां कोई भी घुमने आओ। महज कुछ रुपयों का शुल्क अदा करो और जाओ गांव की कहानी जानने। लेकिन रात खतरे से खाली नहीं। आम आदमी तो छोड़िए, चार बजे के बाद इस गांव में कोई गार्ड भी नहीं रुकता। इतिहासकारों की मानें तो वे भूत प्रेत को तो नहीं मानते, लेकिन ये जरुर कहते हैं कि महज एक रात और खाली हो गया था पूरा गांव।
राजस्थान का मशहूर गोल्डन शहर। गोल्डन शहर का नाम जैसलमेर। खूबसुरत शहरों की श्रेणी में आता है ये शहर। यहां की दुकान, होटल, मकान, किले, या कुछ और। सब कुछ नजर आता है पीले रंग में रंगा। सूरज की पहली किरण। धरां पर क्या उतरी। शहर मानो सोने जैसा चमकने लगता है। इसी शहर से महज 18 किलोमीटर दूर। जहां जाने के लिए पार करना पड़ता है वीरान रास्ता। वो रास्ता, जहां सिर्फ वीरानी, नहीं नजर आता कोई। नजर आती है तो सिर्फ तेज हवाओं की आवाजें। सनसनाहट के साथ चलती ये हवाएं। पहुंचने से पहले ही सामने आने लगता है डर का साया। रुहानी ताकतों की दिखने लगती है परछाई। सुनसान सड़कों से गुजरते हुए दोनों रास्ते भी वीरान। यानी आप पहुंच गए हैं उस जगह। जहां हो जाती है डर की शुरुआत। ना लोग, ना गाड़ियां, ना मकान, ना होटल। कुछ दूर जाकर एक आध गाड़ी दिख जाए तो आपकी किस्मत। वरना आप डर की पहली सीढ़ी पार कर रहे हो। दिल थामकर।
कुलधरा गांव। जो वीरान तो है ही, जैसे ही गांव में एंट्री, भरी सर्दी में ठंड से कंपकंपी। लेकिन यहां निकलेंगे आपके पसीने। गर्मी की भरी दुपहरी, लेकिन यहां सर्द हवाओं के झोंके। कंपकंपी से आपकी कंपकंपी नहीं छूटेगी। बल्कि गांव की कहानी से कांप उठेगी आपकी रुह। ऐसे गांव की क्या है कहानी, जानते हैं। इतिहासकारों के अनुसार 1291 में पालीवाल ब्राह्मणों ने इस गांव को बसाया था। उस समय यहां 84 गांवों के लगभग 600 घर। करीब पांच हजार की आबादी बसाई गई थी। दिमागवाले। पढ़े लिखे। अच्छे वैज्ञानिक। सभी आपस में मिलजुल कर रहते थे। अच्छी तकनीक से बने इनके घर आज 800 साल बाद भी जस के तस। ऐसे घर। जो आज आधुनिकता में भी संभव नहीं। उस समय इनकी तकनीक ऐसी। बारिश का पानी सीधा गहराई में जाकर भूजल में समा जाता था। तभी तो ये लोग। थार यानी रेगिस्तान में कभी पानी की कमी से नहीं जूझे। इसी थार में फसल बोई और तालाब भी बना डाले। लेकिन समय का फेर और गांव हो गया वीरान। आखिर कैसे।
कहते हैं नजर लगने से पहले काला टीका लगा लो। इस गांव ने नहीं लगाया काला टीका और जैसलमेर के दीवान की पड़ गई नजर। ये दीवान था जैसलमेर का सालम सिंह। जो काफी क्रूर था। कहते हैं महज 11 साल की उम्र में। इनके पिता को राजद्रोह का आरोप लगाकर गला काटकर मार दिया गया। इसके बाद तो सालम सिंह और भी निर्दयी और क्रूर बन गया। सालम सिंह इतना क्रूर और महिलाओं के बीच बदनाम कि औरतें उसके किले की तरफ जाना भी पसंद नहीं करती थी। एक बार सालम सिंह। कुलधरा गांव के दौरे पर निकला और उसकी नजर पड़ गई वहां के प्रधान की बेटी पर। फिर क्या। सालम सिंह की नियत बिगड़ी और कोई बात नहीं बनते देख गांव पर लगा दिए कई लगान। लेकिन नहीं झुके सुविधा संपन्न पालीवाल ब्राह्मण। सालम सिंह की बढ़ती क्रूर मानसिकता के बाद ग्रामीण एकजुट हुए और। महज एक रात खाली कर दिया पूरा गांव। चले गए अनजान जगह। आज के जमाने में पड़ोसी, पड़ौसी के काम नहीं आता और यहां 600 घरों के पांच हजार लोग। महज इस एक लड़की की इज्जत बचाने के लिए चले गए गांव छोड़कर। गांव छोड़ना उचित। लेकिन नहीं किया गांव की बेटी की इज्जत का सौदा। जाते जाते गांव को दे गए एक श्राप। गांव में कोई नहीं बस सकेगा। जो बसेगा, वो खुश नहीं रहेगा। इसके बाद सालम सिंह को गांव में कुछ नहीं मिला। ना प्रधान की बेटी और ना ही कोई संपत्ति। वहां बसाए गए सालम सिंह के सैनिक भी हो गए बर्बाद।
आपने जानी कुलधरा गांव की पूरी कहानी। पूरी हकीकत-पूरा फसाना। लेकिन हम तो सिर्फ यहीं कहेंगे। कि ये भूत वूत। या भुतैया। कुछ नहीं होता। होता है सिर्फ अपना वहम। पॉजीटिव और नैगेटिव एनर्जी। जिस पर टिकी है पूरी दुनिया। टिका है पूरा ब्रह्मांड। लेकिन आज भी एक सवाल हमारे दिमाग में उपज रहा है। आखिर वहां रहने वाले 600 घरों के पांच हजार लोग कहां गए। रातों रात ऊंट गाड़ियों और बैल गाड़ियों के जरिए कहां चले गए पालीवाल ब्राह्मण। क्या इस गांव को लगे श्राप की वजह से ये आज भी शापित है। क्या ऐसी ही है एक और गांव खाबा की कहानी। जहां भी आज तक आबादी का नामोनिशान दूर दूर तक नहीं। आखिर क्यों 84 गांवों में से 82 गांव फिर से बस गए। लेकिन कुलधरा और खाबा को क्या लगा श्राप।