उदयपुर... झीलों की नगरी... लेकसिटी... पर्यटन नगरी... वेडिंग नगरी... या मेवाड़ की धरां
उदयपुर शहर... जिसे आज एक नहीं... दो नहीं... कई नामों से पुकारा जाता है। कभी मेवाड़ या महाराणा प्रताप की जन्मस्थली या यूं कहें कर्मस्थली रही ये धरां आज दुनिया में अपनी अलग पहचान रखती है। आज हम जानेंगे इसी धरां के बारे में। आखिर क्या खास है इस धरां में... क्यों इसे राजस्थान में सबसे अलग माना जाता है। क्यों ये दुनियाभर में अपनी अलग पहचान रखती है। कब हुई थी उदयपुर शहर की स्थापना और कब क्या होता रहा इसमें परिवर्तन। उदयपुर शहर के इतिहास की जानते हैं आज कहानी।
इतिहास :-
उदयपुर शहर की स्थापना सिसोदिया वंश के राणा उदय सिंह द्वितीय ने 1558 में की थी। उदयपुर शहर मेवाड़ की राजधानी भी रहा। इसे झीलों की नगरी भी कहा जाता है। इस शहर के पहले राणा उदय सिंह (1540-1572) थे। इसके बाद महाराणा प्रताप सिंह (1572-1597) ने मेवाड़ की राजगद्दी संभाली। उसके बाद राणा अमर सिंह (1597-1620), राणा करण सिंह द्वितीय (1620-1628), राणा जगत सिंह (1628-1652), राणा राज सिंह (1652-1680), राणा जय सिंह (1680-1698), राणा अमर सिंह द्वितीय (1698-1710), राणा संग्राम सिंह द्वितीय (1710-1734), राणा जगत सिंह (1734-1751), राणा प्रताप सिंह द्वितीय (1751-1754), राणा राज सिंह (1754-1762), राणा अरी सिंह (1762-1772), राणा हमीर सिंह (1772-1778), राणा भीम सिंह (1778-1828), राणा जवान सिंह (1828-1838), राणा सरदार सिंह (1838-1842), राणा स्वरुप सिंह (1842-1861), राणा शंभु सिंह (1861-1874) राणा सज्जन सिंह (1874-1884), राणा फतेह सिंह (1884-1930) और राणा भूपाल सिंह (1930-1947) ने उदयपुर में शासन किया। 1947 में राजस्थान लोकतंत्र का हिस्सा बन गया था और राजशाही की परंपरा समाप्त कर दी गई। इसके बाद 1955 तक महाराणा भूपाल सिंह ही पूर्व राजपरिवार के महाराणा रहे। और उन्होंने विशाल तालाब भूपाल सागर का निर्माण भी कराया। इसके बाद 1955 से 1984 तक महाराणा भगवत सिंह पूर्व राजपरिवार के महाराणा रहे और उनके बाद उनके गोद लिए पुत्र महेंद्र सिंह महाराणा बनाए गए। 1984 से 2024 तक महेंद्र सिंह मेवाड़ के महाराणा रहे और 2024 में उनके निधन के बाद उनके पुत्र विश्वराज सिंह को मेवाड़ का महाराणा चुना गया। विश्वराज सिंह मेवाड़ वर्तमान में भाजपा से विधायक हैं और उनकी पत्नी
उदयपुर शहर की सरंचना
उदयपुर शहर की सरंचना 1947 में राजस्थान के अंर्तगत हुई थी। भारत की आजादी के बाद उदयपुर शहर की संरचना में महत्वपूर्ण बदलाव हुए। आजादी के बाद ये शहर तेजी से विकास करने लगा और कई नए क्षेत्र, सुविधाएं और संस्थान स्थापित किए गए। उदयपुर शहर में निम्नलिखित महत्वपूर्ण संरचनात्मक बदलाव हुए हैं और इस शहर को समय के साथ पर्यटन नगरी या झीलों की नगरी के नाम से भी जाना जाने लगा। यहां कई सुंदर महल, झीलें और बाग-बगीचे भी हैं। जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र हैं।
शिक्षा - आजादी के बाद शहर में कई शिक्षण संस्थानों की स्थापना की गई। महाराणा प्रताप विश्वविद्यालय, टेक्निकल और मैनेजमेंट संस्थान यहां के प्रमुख शिक्षा केंद्र हैं।
सड़कों और परिवहन - शहर में सड़कों का नेटवर्क भी समय के साथ बढ़ता गया और परिवहन सुविधाओं में सुधार होता गया। आज उदयपुर शहर से राजस्थान के हर जिले तक सीधी पहुंच है और देश के हर राज्य तक रेलवे नेटवर्क फैला है। शहर से देश के हर राज्य तक सीधी हवाई सुविधा यानी एयर कनेक्टिविटी भी है। जिससे यहां आने वाले लोगों की आसान पहुंच हैं।
स्वास्थ्य सेवाएं - उदयपुर में आधुनिक अस्पताल और स्वास्थ्य सेवाएं भी हैं। जो लोगों को बेहतर चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करते हैं।
उद्योग और व्यापार - शहर में उद्योग और व्यापार के क्षेत्र में भी काफी तेजी से विकास हुआ है। कई छोटे और मध्यम आकार के उद्योग स्थापित किए गए हैं।
उदयपुर ने आजादी के बाद अनेक सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक विकास के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। यह शहर आज भी अपनी सुंदरता और समृद्धि के लिए जाना जाता है।
नगर परिषद और नगर निगम
उदयपुर में 13 अक्टूबर 1959 को नगर परिषद की स्थापना की गई थी। इससे पहले उदयपुर नगरपालिका मंडल की स्थापना आजादी से पहले दिसंबर 1922 में हुई थी। उदयपुर नगर निगम का गठन 29 नवंबर 1994 को हुआ और फिर से जनप्रतिनिधियों के बोर्ड के चयन के साथ नगर निगम बनी।
विधानसभा
उदयपुर विधानसभा क्षेत्र राजस्थान राज्य के उदयपुर में स्थित है। ये क्षेत्र उदयपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत आता है। उदयपुर विधानसभा क्षेत्र में अब तक कई प्रमुख नेताओं ने प्रतिनिधित्व किया है।
उदयपुर विधानसभा क्षेत्र से ये रहे विधायक और राजनीतिक दल :-
1952 - मोहनलाल सुखाड़िया (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस)
1972 - भानुकुमार शास्त्री (जनसंघ)
1977 - गुलाब चंद कटारिया (जनता पार्टी)
1985 - गिरिजा व्यास (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस)
1990 - शिवकिशोर सनाढ्य (भारतीय जनता पार्टी)
1998 - त्रिलोक पूर्बिया (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस)
2003 - गुलाब चंद कटारिया (भारतीय जनता पार्टी)
2018 - ताराचंद जैन (भारतीय जनता पार्टी)
उदयपुर ग्रामीण विधानसभा सीट भी एक महत्वपूर्ण सीट है, जो अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। यहां से वर्तमान विधायक फूलसिंह मीणा हैं, जो भारतीय जनता पार्टी से हैं।
उदयपुर विधानसभा क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास और वर्तमान स्थिति... इसे राजस्थान की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान प्रदान करते हैं।
आजादी के बाद उदयपुर से कई सांसद रहे हैं। जिन्होंने भारतीय संसद में अपनी सेवाएं दी हैं। इनमें प्रमुख नाम हैं :-
ये रहे उदयपुर संसदीय क्षेत्र से सांसद
भंवरलाल मेहता, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
गिरिजा व्यास, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
अरुण सिंह, भारतीय जनता पार्टी
रघुवीर सिंह मीणा, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
ये नेता उदयपुर के विकास और भारतीय संसद में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं।
उदयपुर, जिसे झीलों का शहर भी कहा जाता है, आज भी अपनी खूबसूरती और सांस्कृतिक धरोहर के लिए जाना जाता है। यहां के प्रमुख आकर्षणों में सिटी पैलेस, पिछोला लेक, जग मंदिर और फतेह सागर झील शामिल हैं।
सिटी पैलेस - ये एक विशाल महल है, जो पिछोला झील के किनारे स्थित है। इसमें कई संग्रहालय, बगीचे और आंगन हैं।
पिछोला झील - यह उदयपुर की सबसे प्रमुख झील है, जहां बोटिंग का आनंद लिया जा सकता है। झील के बीच में जग मंदिर और लेक पैलेस जैसी प्रसिद्ध इमारतें हैं।
सज्जनगढ़ पैलेस / मॉनसून पैलेस - ये महल एक पहाड़ी पर स्थित है और यहां से पूरे उदयपुर शहर का खूबसूरत दृश्य देखा जा सकता है।
फतेह सागर झील - यह एक कृत्रिम झील है और यहां नेहरु पार्क और उदयपुर सोलर ऑब्जर्वेटरी भी स्थित हैं।
सहेलियों की बाड़ी - ये एक सुंदर बगीचा है, जिसमें फव्वारे, कमल के तालाब और संगमरमर की छतरियां हैं।
उदयपुर के पर्यटन में आपको राजस्थानी संस्कृति, कला और यहां के पारंपरिक व्यंजन भी आकर्षित करेंगे। इस शहर की यात्रा करना वास्तव में एक रोमांचक अनुभव हो सकता है। उदयपुर, जिसे झीलों और महलों का शहर भी कहा जाता है, डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए बहुत ही लोकप्रिय स्थान है। यहां के शाही महल, शांत झीलें और हरे-भरे बाग इसे एक परफेक्ट वेडिंग डेस्टिनेशन बनाते हैं।
उदयपुर में कुछ प्रमुख वेडिंग वेन्यू हैं -
सिटी पैलेस - यह महल अपनी भव्यता और शाही वातावरण के लिए प्रसिद्ध है।
जगमंदिर आइलैंड पैलेस - यह महल पिछोला झील के बीच स्थित है और एक अद्वितीय वेडिंग वेन्यू है।
ताज लेक पैलेस - यह महल भी पिछोला झील के बीच स्थित है और अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है।
फतेह सागर लेक - यह झील और इसके आसपास के क्षेत्र भी वेडिंग के लिए बहुत ही सुंदर स्थान हैं।
उदयपुर में वेडिंग प्लान करने के लिए ये स्थान बहुत ही उपयुक्त हैं और यहां की खूबसूरती आपकी शादी को और भी यादगार बना देगी।